Rajasthan : आश्रम में आखिर क्या लिकला जानिए इस न्यूज़ का पूरा सच |

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Rajasthan : 150 years old ghee in Aashram and want to know how

Rajasthan : राजस्थान के एक आश्रम के शिखरबंद में लगाए कलश में रखा घी बताया जा रहा है की वह 150 साल बाद भी उसमे वही ताजगी और महक के साथ  मिला है। और इस घी के सैंपल को भी लैब भेजा जाएगा। इस 150 साल पुराने घी को देखने के लिए लोगो की भीड़ भी लग रही है।

राजस्थान के झुंझनूं में से एक अजीबोगरीब मामले सामने आ रहे है , जहां एक तरफ यह बताया जा रहा है की आश्रम के शिखरबंद में लगाए कलश में रखा घी कुल लग – भग 150 साल बाद भी उसमे वही ताजगी और महक के साथ मिला है। और इस 150 साल पुराने घी के कलश को देखने के लिए उस आश्रम में लोगो की भीड़ जुट रही है।

आश्रम ( Rajasthan ) में मिला कलश

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जानकारी के अनुसार , यह बताया गया है की ये मामला झुंझुनूं के बिसाऊ के समीप गांव टांई के नाथ आश्रम का है। और इस गांव के भवानी सिंह ने यह बताया है कि इन दिनों आश्रम के नवनिर्माण का कार्य चल रहा है। और जब शिखरबंद को जैसे ही हटाया जाने लगा तो उसमे घी से भरे कलश को शुरक्षित तरीके से वहां से बहार निकला गया। वह घी देखने में एकदम तजा और साथ ही महक भी तजा घी जैसे ही मिली तो ग्रामीणों को उस घी वाले कलश को देखने के लिये भीड़ जुटने शुरू हो गई।

150 साल पुराना कलश

उस आश्रम के सोमनाथ महाराज ने यह भी बताया है कि नवनिर्माण के दौरान शिखर बंद के बनते समय दोबारा इसी घी से भरे कलश को यहाँ स्थापित किया जाएगा। आश्रम के महंत सोमनाथ महाराज यह कहते है कि आश्रम को बने करीब 150 साल से भी ज्यादा का समय हो गया है। और इस निर्माण के वक्त ही शिखर में घी का कलश रखा गया था। ऐसे में घी 150 साल पुराना है। महंत ने यह भी बताया कि अक्सर वो सुनते थे कि गाय का घी बहुत लम्बे समय तक तजा रहता है।

पुराना आश्रम

आपको यह भी बता दे कि झुंझुनूं मुख्यालय से चूरू रोड पर करीब – करीब 35 किलोमीटर दूर एक मन्नानाथ पंथियों का आश्रम बना हुआ है। और इस आश्रम का इतिहास बहुत साल पुराना है। गांव के लोगो के अनुसार , इस आश्रम का इतिहास करीब – करीब दो हजार साल पुरानी है। कहना यह है कि राजा अपना राजपाट छोड़कर तपस्या के लिए आए थे । और बाबा गोरखनाथ ने उन्हें यह कहा था कि जहां पर यह घोडा रुक जाए, वही पर अपनी तपस्या स्थल बना लेना। और तो और राज रशालु का घोडा इसी भूमि पर आकर रुका था। और रशालु ने यहाँ पर तपस्या शुरू कि थी।