
Dhaakad Review : बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत फुल ऑन एक्शन अवतार में आ गई है । ऐसा एक्शन होने का दावा है कि जो आपने इससे पहले स्क्रीन में नहीं देखा होगा । परंतु , अब इन दावों का वक्त हुआ ख़तम अब फिल्म रिलीज़ हो चुकी है , जानते है यह फिल्म कैसी बनी है।
वह कहती है कि मै बेस्ट हूँ और मुझसे बेहतर कोई भी नहीं कर सकता। मै एक गेमचेंजर साबित हो जाऊंगी , और यह कंगना रनौत है। इन्हे हमेशा कुछ ना कुछ साबित करने किआग और साथ ही कुछ अलग करने का जूनून और अगर हम इतिहास के पन्नों मै खुद को दर्ज करवाने वाली एक ललक।
एक्ट्रेस कंगना कि कोई भी बड़ी फिल्म उठा लीजिए, क्वीन ने वो कर दिखाया था। एक्ट्रेस ने थलाइवी मै फिर सब को हैरत मै डाला और अब बारी है धाकड़ की। यह एक एक्शन फिल्म है , एक्ट्रेस कंगना इस फिल्म मै लीड रोले मै है।
इसका मतलब यह के फिर कुछ नया देखने को मिलेगा। और अब धाकड़ के साथ कंगना एक नया इतिहास बना रही है या फिर इसमें ही गुम हो जाएगी , आइए आपको और विस्तार से बताते है ।
धाकड़ (Dhaakad Review) कि कहानी
यूरोप से लेकर भारत तक मानव तस्करी का एक बड़ा बिज़नेस चल रहा है। यह एक ऐसा बिज़नेस है जो बढ़ता ही चला जा रहा है। और इस पुरे बिज़नेस कि कमान रुद्रवीर ने संभाल रखी है। वैसे तोह यह कोयल बेचने का काम करता है , परंतु , उनका मेन धंधा जिस्मफरोशी का करता है।
उसका एक साथी भी है रोहिणी जो कि इस पुरे बिज़नेस का हिस्सा देखती है। और साथ ही लड़कियों को लाने का काम भी कर रही है। सिर्फ ये एक काम है और इसका पर्दाफाश करने के लिए भारत कि सीक्रेट एजेंसी रॉ सक्रिय हो गई है।
और इस मिशन को लीड कर रही है अग्नि उर्फ ड्रैगन गर्ल वो है एक्ट्रेस कंगना रनौत। अग्नि एक बहुत माहिर एजेंट है जो तलवारबाजी से लेकर गोलीबारी तक, हर मामले मै एक्सपर्ट बन चुके है। इस फिल्म कि कहानी मै आपको यह बताया गया है कि उससे बेहतर कोई नहीं।
अग्नि के ऊपर एक बॉस भी है जो उसे आर्डर दे रहा है। तो किस तरीके से इस मिशन को अंजाम दिया जाता है ,अग्नि के सामने क्या चुनौतियां आती है , यही एक धाकड़ कि कहानी है।
ओनली एक्शन
एक्शन फिल्म किसे कहते है वो जिसमे एक्शन है और खूब सारी मार-धाड़ है। ज्यादा तर तो यही रहता है। परंतु , अकेले एक्शन के दम पर कोई फिल्म चल सकती है और इसका जवाब होगा बिलकुल भी नहीं। धाकड़ के मेकर्स इस बात को समझा पाए? जवाब फिर से नहीं।
धाकड़ कि समीक्षा करने से पहले मेकर्स का मन टटोलना जरूरी हो जाता है। इस फिल्म को बनाने का उदेश्य क्या था ? पहला एक्ट्रेस कंगना रनौत को बतौर एक्शन हीरो स्थापित करना। दूसरा यह परसेप्शन क्रिएट करना कि एक लीड एक्ट्रेस भी एक्शन कर सकती है।
अब क्योंकि मेकर्स का फोकस इन्हीं दो पहलुओं पर ही रहा इसलिए धाकड़ में कहानी की तलाश करना भी आपको बेईमानी लग सकता है।लेकिन वो तो सिर्फ एक सहारा है जिसके जरिए कंगना के एक्शन सीन्स के लिए स्टेज सेट किया जा रहा है. इसलिए नो कहानी, ओनली एक्शन।